kamakhya devi मंदिर,पूर्वजों का कहना है की जब माता सत्ती एक महायग मे पिता के घर जाना चाहती है लैकिन माता सत्ती के पति शिव शंकर उनको मना कर देते है लैकिन फिर भी माता चली जाती है और वहाँ जाने के बाद शिव शंकर के बारे मे मजाक उड़ाया जाता है और अपने पत्ती के बारे सुन के वो शह नहीं पति है और माता हवन कुंड मे कूद जाती है, जब ये बात शिव शंकर को पाता चाहता है तो वो तांडव करने लगते है और तांडव और गुस्से मे वो इतने मगन हो जाते है की माता सत्ती का शरीर टुकड़ों टुकड़ों मे बिखर जाता है जिसे शक्ति पीठ कहते है,
माता सत्ती का गर्भ्य और योनि इसी जगह पे आ के गिरा था, इसलिए कामाख्या देवी की मशिक धर्म के समय ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल हो जाता है, कहा जाता है की कामाख्या देवी के मासिक धर्म के रक्त से ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल हो जाता है, इस मंदिर मे कामाख्या देवी की योनि का पूजा किया जाता है, ये बात जान के शायद आपको यकीन ना हो लैकिन यही सच है, कामाख्या देवी मंदिर इतना ज्यादा प्रसिद्ध है की लोगों की भीड़ हमेशा रहती है ।
kamakhya devi मंदिर की कुछ अनसुनी बाते जो शायद आप नहीं जानते होंगे
kamakhya devi मंदिर मे कामाख्या देवी की पूजा किया जाता है ये 51 सक्ति पीठ मे से एक है, इस मंदिर मे कामाख्या देवी के अलावा काली माँ के दस रूप जैसे धुमावती, बगोला, तारा,मतंगी,कमला भैरवी, छिनमाश, भूबनेश्वरी और त्रिपुरा सुंदरी देखने को मिलेंगे ।
सातवी सतब्दी मे चीनी यात्रियों मे कामाख्या देवी की उपेकछा की उस समय ये माना जाता था की ब्राहिमनी अंबित की पूजा करनी चाहिए, 8वी और 9वी सदी मे वहाँ पर मंदिर के कुछ अंश मिले लैकिन बाद मे कल्पहरा के शासन के दोरान इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया , और हुसैन सह के राज मे भी इस मंदिर को नष्ट किया गया था, बिश्व सिनधा के बेटे नारायण ने इस मंदिर का पुना निर्माण करवाया, मंदिर वही पर निर्माण करवाया गया जहाँ पर मंदिर के कुछ अंश या फिर सबूत मिले थे ।
अंबु बाची पूजा लोगों का मानना है की इस दिन kamakhya devi मशिक धर्म मे रहती है इसलिए मंदिर को 3 दिनों तक बंद रखते है उसके बाद मंदिर को खोला जाता है और फिर पूजा की जाती है अंबु बाची पूजा के समय बहुत ज्यादा भीड़ होती है लोग दूर दूर से इस मंदिर अंबु बाची पूजा के दिन आते है, इसके अलावा इस मंदिर मे बहुत से पूजा होते है जैसे काली पूजा, दुर्गा पूजा, शिवरात्रि पूजा आदि,
kamakhya devi मंदिर कहाँ है और केसे जाए

असम के गुहाटी के नीलाचल पहाड़ी मे स्थित है, ये मंदिर असम का मुख्य मंदिर माना जाता है और इस मंदिर के कारण गुहाटी मे पर्यटक की भीड़ रहती है, यू तो ये मंदिर पहाड़ियों मे बसा है मंदिर के आस पास का नजारा देख आपके दिल को मानो ठाँठक मिलेगी।
कामाख्या देवी मंदिर गुहाटी रेल्वे स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, अगर आप हवाई यात्रा से जाना चाहते है तो आप गुहाटी एयरपोर्ट तक पहुच सकते है उसके बाद वहाँ से आपको कामाख्या देवी मंदिर के लिए ऑटो या बस आपको मिल जाएगा, आप कोलकाता से भी आसानी kamakhya devi मंदिर तक पहुच सकते है ।
Rajrappa Mandir काली माँ इस जगह पर अपना धड़ अपने शरीर से अलग की थी