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Thursday, August 17, 2023

Bhadrakali mandir itkhori: शक्ति और पौराणिक धरोहर की पवित्र संग्रहणा

bhadrakali mandir itkhori: पूर्वी झारखंड के सुन्दर और रोमांचक पहाड़ी क्षेत्र में एक अद्भुत स्थल है, जिसका नाम है “भद्रकाली मंदिर, इटखोरी।” यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक पौराणिक कथा के साथ जुड़ा हुआ है जो हमें हमारे संस्कृति और धरोहर की महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षा को समझाता है। यहां हम इस प्रमुख शक्ति पीठ के महत्व, इतिहास, और धार्मिक महत्व के बारे में चर्चा करेंगे, जिससे हम इस प्रेरणादायक स्थल के प्रति और भी अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Bhadrakali mandir itkhori

भद्रकाली मंदिर का इतिहास और महत्व:

bhadrakali mandir itkhori: भद्रकाली मंदिर का इतिहास वास्तव में अत्यंत प्राचीन है और इसका जोड़ देवी भद्रकाली से है, जो दुर्गा के रूप में पूजी जाती है। इसका मानना है कि माता भद्रकाली ने यहां अपने शक्ति के रूप में प्रकट हुई थीं और इससे यह स्थल पौराणिकता और आध्यात्मिकता के लिए महत्वपूर्ण हो गया। मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था और इसकी दीवारों में छिपे धार्मिक मोती भारतीय संस्कृति के अमूल्य गहने हैं।

भद्रकाली मंदिर इटखोरी एक महत्वपूर्ण शक्ति पीठ है, जिसे हिंदू धर्म में उच्च मान्यता प्राप्त है। यहां के पर्यटक और भक्त दुर्गा की अत्यंत पूजा और भक्ति करते हैं, और माता के शक्ति के रूप में उनका स्तुति करते हैं। माता भद्रकाली को शक्ति की देवी माना जाता है, जिनकी शक्ति से हम सभी कठिनाइयों को पार कर सकते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

इटखोरी के भद्रकाली मंदिर की विशेषता:

इटखोरी का भद्रकाली मंदिर अपनी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का स्थान पर्यावरण में अत्यधिक प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। मंदिर के आस-पास की हरित पहाड़ियों का दृश्य आत्मा को शांति और आनंद का अहसास कराता है। माता भद्रकाली के भक्तों के लिए यह स्थल आध्यात्मिकता का प्रमुख केंद्र है, जहां वे अपनी माता की अनंत कृपा को महसूस कर सकते हैं।

इतिहास की गहराईयों में भद्रकाली मंदिर:

इटखोरी के भद्रकाली मंदिर का इतिहास रमांचक है। यह माना जाता है कि मंदिर का निर्माण करीब 16वीं शताब्दी में हुआ था, और वो समय था जब मुघल साम्राज्य भारत में शासन कर रहा था। इस समय के बाद, यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल बना, बल्कि यह स्थल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय में इटखोरी के भद्रकाली मंदिर ने लोगों को एक साथ आने की भावना प्रदान की। यहां के लोग अपनी भावनाओं को साझा करते थे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्त्रोत के रूप में मंदिर को महत्व देते थे। यहां की भद्रकाली माता ने लोगों को एकत्रित किया और उन्हें विभाजन और असहमति के बावजूद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में प्रेरित किया।

धार्मिक महत्व:

इटखोरी के भद्रकाली मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यहां के मंदिर में माता भद्रकाली को एक शक्तिशाली देवी माना जाता है, जो हमें उस शक्ति की ओर प्रोत्साहित करती है जो हमारे अंदर है। इस मंदिर में आने वाले लोग अपने मानसिक और आत्मिक शांति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, और माता की कृपा को महसूस करते हैं।

भद्रकाली मंदिर के चारों ओर की शांति और प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे इस स्थल में आने वाले लोग आत्मा को शुद्ध करते हैं। यहां की माहौल भक्ति और आध्यात्मिकता से भरपूर होती है और लोग अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए माता की कृपा का आभास करते हैं।

bhadrakali mandir itkhori: कैसे पहुचे

इस मंदिर परिसर मे जाने के लिए आपके पास 3 बिकल्प है बस , ट्रेन , हवाई जहाज ,अगर आप बस से जाना चाहते है तो आपको झारखंड के रांची, धनबाद , गिरीडीह, बोकारो,कोडेरमा हजारीबाग आदि से बस डायरेक्ट मिल जाएगी, अगर आप ट्रेन के माध्यम से जाना चाहते है तो आप कोडेरमा या फिर रांची रेल्वे स्टेशन पहुचने के बाद बस के माध्यम से सीधा मंदिर परिसर मे जा सकते है, डायरेक्ट इटखोरी ट्रेन या हवाई जहाज से जाने का कोई बिकल्प नहीं है आप बस के मध्ययम से ही मंदिर के परिसर मे पहुच सकते है।

नाम भद्रकाली मंदिर
स्थान इटखोरी चतरा जिला,झारखंड
पिन कोड 825408
पार्किंग फ्री पार्किंग की सुविधा
रेल्वे स्टेशन कोडेरमा रेल्वे स्टेशन,हजारीबाग रेल्वे स्टेशन, रांची रेल्वे स्टेशन
बस स्टेशन हजारीबाग, रांची, कोडेरमा बस स्टेशन
#Bhadrakali mandir itkhori

निष्कर्ष:

Bhadrakali mandir itkhori: इटखोरी के भद्रकाली मंदिर का यह धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व एक प्रेरणास्त्रोत है। यहां के मंदिर में आने वाले लोग भक्ति और आध्यात्मिकता की ओर अपना कदम बढ़ाते हैं, और माता भद्रकाली से शक्ति और साहस प्राप्त करते हैं। इस स्थल का पर्यटन महत्वपूर्ण है, और यह सभी को भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति अधिक जागरूक बनाता है।

इटखोरी के भद्रकाली मंदिर का सफर एक अनूठा अनुभव होता है, जिसमें हम धार्मिकता, ऐतिहासिकता, और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं। इस मंदिर की महत्वपूर्ण भूमिका है हमारी संस्कृति और आध्यात्मिकता की रक्षा करना, और यह आत्मा को प्रेरित करने वाला स्थल है जो हमें अपने जीवन को एक नई दिशा देने के लिए प्रेरित करता है।

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  1. Banaso Mandir: इतिहास जान के आप सन हो जाएंगे

Sunday, August 13, 2023

Banaso Mandir: एक आदर्श पर्यटन स्थल

Banaso Mandir, झारखंड के हजारीबाग जिले में स्थित है, जिसे हजारीबाग से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर पाया जाता है। यह मंदिर बनासों मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है और इसे बगेश्वरी माता मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यहां माता दुर्गा के प्रतिरूप की पूजा की जाती है।

बगेश्वरी माता के साथ-साथ इस मंदिर में संकर जी, गणेश जी और दुर्गा माता के भी दर्शन किए जा सकते हैं। यहां की प्रसिद्धि बनासों मंदिर के चारों ओर बिखरी हुई है।

#Banaso Mandir:

बनासों मंदिर: इतिहास और महत्व

यह मंदिर लगभग सौ वर्ष पुराना है। प्रारंभ में, यह गाँव की एक साधारण मंडई था, और इसके आसपास के गाँवों के लोग ही इसे पूजते थे। उस समय से बनासों के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर उपनाम बन गया है। लोग मानते हैं कि यहां की माँ बगेश्वरी सच्चे मन से कामनाएं पूरी करती हैं। एक समय ऐसा भी आया जब अकाल ने लोगों को परेशान किया था, लेकिन बगेश्वरी माता की कृपा से उनकी मदद हुई थी और उनके दुख दूर हो गए थे।

वर्तमान समय में, यह मंदिर झारखंड के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां की श्रद्धा और विश्वास इतने महत्वपूर्ण हैं कि लोग दूर-दूर से इसे देखने आते हैं। यह मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति माँ नहीं बन पा रहा हो तो उसकी मनोकामना बगेश्वरी माता के मंदिर में जाकर करने से शीघ्र पूरी हो सकती है। यहां के प्रतिष्ठान में ऐसा विश्वास है कि लोग बच्चों का मुड़ने और बकरे की बलि देने का रीति-रिवाज अपनाते हैं।

बनासों मंदिर: पहुँचने का तरीका

यहां पहुँचने के लिए कई विकल्प हैं, जैसे कि बस, ट्रेन, और फ्लाइट। आप बस का सहारा ले सकते हैं, जो हजारीबाग से डायरेक्ट जा सकती है। हजारीबाग से बनासों मंदिर पहुँचने में लगभग 2 घंटे का समय लगेगा। आप गुमिया, बोकारो जैसे स्थानों से भी बस का प्रयोग करके पहुँच सकते हैं। आप रांची से भी हजारीबाग आकर बनासों मंदिर जा सकते हैं।

अगर आप ट्रेन पसंद करते हैं, तो आप गुमिया, रांची, सरिया, पारसनाथ, और हजारीबाग रेल्वे स्टेशन से उतरकर बस का प्रयोग कर सकते हैं। इन स्थानों से आपको बनासों के लिए बस या टैक्सी मिलेगी। अगर आप वायुयान से जाना चाहते हैं, तो आप रांची या धनबाद हवाई अड्डे का उपयोग कर सकते हैं, और वहां से टैक्सी या बस का प्रयोग करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

नाम बनसों मंदिर
स्थान बिशनुगढ़ बनासों
समयसुबह 5 बजे से शाम 4 बजे तक
राज्यझारखंड इंडिया
पार्किंगफ्री पार्किंग मोजूद
पिन कोड 825312
रेल्वे स्टेशन गुमिया, हजारीबाग रोड ,रांची, धनबाद ,बोकारो
#banaso mandir

Banaso Mandir:

बगेश्वरी माता, दुर्गा माता का ही एक रूप होने के कारण दशहरे यानि दुर्गा पूजा के समय इस मंदिर मे काफी भीड़ होती है दुर्गा पूजा के समय लोग दूर दूर से इस मंदिर पर पूजा करने के लिए आते है, इस मंदिर मे दुर्गा पूजा के नवमी के दिन सबसे ज्यादा बकरे की बली दी जाती है, इस मंदिर के देख रेख जारंगडीह गाँव के लोग ही करते है, इस मंदिर के पुजारी है वो जारंगडीह गाँव के ही लोग करते है कहीं बाहर के पंडित इस मंदिर मे पूजा नहीं करवा सकते है, इस मंदिर की पूरी जीमेवरी जारंगडीह गाँव के लोगों के पास ही है।

निष्कर्ष:

इस प्रकार, Banaso Mandir झारखंड के हजारीबाग जिले में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसका इतिहास सौ वर्ष पुराना है। यह माता बगेश्वरी के दर्शन के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के भी दर्शन का स्थान है। यहां की महत्वपूर्णता और लोगों की आस्था का प्रमुख कारण है कि यह एक प्रसिद्ध और प्रिय स्थल है। पहुँचने के लिए बस, ट्रेन, और हवाई जहाज का प्रयोग किया जा सकता है।

यह मंदिर आस्था और श्रद्धा की एक अद्वितीय उपलब्धि है, जो लोगों को यहां खींचती है। बनासों मंदिर के चारों ओर विकसित वातावरण में, लोग मानते हैं कि उनकी कामनाएं और मनोकामनाएं यहां पूरी होती हैं। यहां की धार्मिक महत्वपूर्णता के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।

Friday, September 17, 2021

Kamakhya Devi Mandir: रहस्यमयी और प्राचीन मंदिर की कहानी

kamakhya devi mandir, भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है जिसका इतिहास रहस्यमयी और आद्यांतरवादी है। यह मंदिर माता सत्ती, देवी दुर्गा के रूप में पूजा जाता है और इसकी प्रसिद्धि उसके अनूठे तथ्यों में छिपी है।

Kamakhya Devi Mandir

उत्पत्ति और विशेषताएँ:

Kamakhya Devi मंदिर की कहानी के अनुसार, माता सत्ती की इच्छा थी कि वह अपने पति शिव के घर जाएं। लेकिन शिव शंकर उन्हें मना करते हैं। फिर भी, सत्ती अपनी इच्छा पर अड़ी रहती है और उसके बाद एक घटना के परिणामस्वरूप, उनका शरीर टुकड़ों में विभाजित हो जाता है, जिसे शक्ति पीठ कहा जाता है। यहाँ की पावनता और मान्यताएँ यह सिद्ध करती हैं कि देवी की शक्तियाँ अत्यधिक और अद्वितीय हैं।

अद्वितीय पूजाएँ:

यह मंदिर माता कामाख्या के अलावा काली माँ के दस रूपों की पूजा का स्थल है। इन रूपों में धुमावती, बगोला, तारा, मतंगी, कमला भैरवी, छिनमाश, भूबनेश्वरी और त्रिपुरा सुंदरी शामिल हैं। यह विशेषता देवी की असीम शक्तियों को प्रकट करती है और भक्तों को उनके विभिन्न रूपों में उनकी उपासना करने का अवसर प्रदान करती है।

इतिहास और पुनर्निर्माण:

Kamakhya Devi मंदिर का इतिहास विशेष रूप से है। इसे किसी भी ऐतिहासिक प्रामाणिकता के साथ पुरातन समय से जोड़ा गया है। यह मंदिर ऐतिहासिक घटनाओं के प्रमुख स्थलों में से एक है, जिसके दौरान यह कई बार नष्ट हो चुका है। हुसैन सह के शासनकाल में भी इसे नष्ट किया गया था, लेकिन बिश्व सिनधा के बेटे नारायण ने इसे पुनर्निर्माण करवाया और वही जगह पर बनाया गया जहाँ पर पुराने मंदिर के कुछ अंश पाए गए थे।

अंबु बाची पूजा:

यहाँ की अद्वितीय पूजा में से एक है अंबु बाची पूजा, जो माता के मासिक धर्म के समय मनाई जाती है। इसके दौरान मंदिर को 3 दिनों तक बंद रखा जाता है और फिर पूजा के बाद मंदिर को खोला जाता है। इस समय मंदिर में भक्तों की भीड़ अत्यधिक होती है, और वे दूर-दूर से इस विशेष अवसर की प्रतीक्षा करते हैं।

महत्वपूर्ण पूजाएँ:

इस मंदिर में काली पूजा, दुर्गा पूजा, और शिवरात्रि पूजा जैसी महत्वपूर्ण पूजाएँ भी होती हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक उत्सवों के रूप में भी लुभाती हैं।

समापन:

Kamakhya Devi मंदिर न केवल एक मंदिर है, बल्कि एक महत्वपूर्ण और आद्यात्मिक स्थल है जो उपासकों को एक अनूठे तथ्यों और प्राचीनतम इतिहास के साथ जोड़ता है। इसकी पूजा, इतिहास, और मान्यताएँ व्यक्ति की आध्यात्मिकता को प्रोत्साहित करती हैं और उन्हें एक अलग दर्शनीयता का अनुभव कराती है।

kamakhya devi मंदिर कहाँ है और केसे जाए

असम के गुहाटी के नीलाचल पहाड़ी मे स्थित है, ये मंदिर असम का मुख्य मंदिर माना जाता है और इस मंदिर के कारण गुहाटी मे पर्यटक की भीड़ रहती है, यू तो ये मंदिर पहाड़ियों मे बसा है मंदिर के आस पास का नजारा देख आपके दिल को मानो ठाँठक मिलेगी।

कामाख्या देवी मंदिर गुहाटी रेल्वे स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, अगर आप हवाई यात्रा से जाना चाहते है तो आप गुहाटी एयरपोर्ट तक पहुच सकते है उसके बाद वहाँ से आपको कामाख्या देवी मंदिर के लिए ऑटो या बस आपको मिल जाएगा, आप कोलकाता से भी आसानी kamakhya devi मंदिर तक पहुच सकते है ।

निष्कर्ष :

kamakhya devi mandir की रहस्यमयी और अद्वितीय कहानी, विशेष पूजाएँ, और इतिहास से यह स्थल एक आद्यात्मिक साक्षात्कार की ओर ले जाता है। यहाँ की प्राचीनतमतम और प्राचीन धार्मिक संस्कृति के साथ-साथ उसके पूजा-प्रथाओं ने लोगों को हमेशा आकर्षित किया है।

Rajrappa Mandir काली माँ इस जगह पर अपना धड़ अपने शरीर से अलग की थी

Thursday, July 8, 2021

Lugu pahar: झारखंड का रहस्यमय पर्वत

Lugu pahar झारखंड के रामगढ़ और बोकारो जिलों के बीच बसा हुआ है, एक अनिवार्य अद्भुत है जो कम प्रसिद्ध है। यह राज्य का दूसरा सबसे बड़ा पहाड़ है, परासनाथ पहाड़ के बाद। यह पहाड़ एक ऐसा रहस्य बाँधा है जिससे आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे, जो केवल एक प्राकृतिक अद्भुत ही नहीं है, बल्कि निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल भी है।

#Lugu pahar


स्थान और महत्व:

Lugu Pahar की सटीक स्थिति झारखंड के रामगढ़ और बोकारो जिलों के बीच की खूबसूरत भूमि में है। यह रहस्यमय सूर्योदय का माहौल बढ़ाता है, जिसमें आदिवासी समुदाय के लोग पूजा आराधना करने के लिए आकर्षित होते हैं। पहाड़ की परम परंपरा का हिस्सा होने के कारण, इस पर्वत पर ऊंचा मानव सम्मान का माहौल बनता है, जहाँ स्थानीय लोग विभिन्न देवताओं की पूजा करते हैं, और यहाँ भक्ति और रहस्य का वातावरण पैदा होता है।

रहस्यमय सुरंग:

लुगू पहाड़ की एक विशेषता है, जिसमें ज़मीन के नीचे एक पतली सुरंग चलती है, जो राजरप्पा मंदिर के पास से निकलकर आती है। पुरानी कहानी के अनुसार, जो लोग लुगू पहाड़ से मंदिर तक इस सुरंग में यात्रा करते हैं, उन्हें स्वर्ग का मार्ग मिलता है, जो दिव्यता की दृष्टि को अद्वितीय बनाता है। सुरंग की आयाम इतने संकीर्ण हैं कि केवल एक व्यक्ति एक बार में यात्रा कर सकता है, जो अज्ञातता की भावना को बढ़ावा देते हैं।

रहस्यमय अद्भुतता:

कई किस्से छाये हैं जिनमें वे लोग शामिल हैं जिन्होंने सुरंग में कदम रखे, लेकिन कभी नहीं वापस आए, जिसके परिणामस्वरूप लुगू पहाड़ के चारों ओर एक रहस्य का माहौल बना है। जबकि कुछ सशंकवादी इन कहानियों को केवल लोककथा मानते हैं, लुगू पहाड़ के इन अनसुलझे सवालों ने पहाड़ की रहस्यमयी आकर्षण को बढ़ा दिया है, जो उत्सुक और विश्वासी होते हैं।

सर्प रक्षक:

लुगू पहाड़ में एक रोचक विशेषता और भी है—एक गुफा जिसमें एक प्राचीन सांप निवास करता है, जिसकी उम्र सौ वर्ष से भी ज्यादा मानी जाती है। इस सांप की अस्तित्व को उसके दूध के सेवन से बनाया जाता है, और यह स्थानीय किस्मत के प्रतीक के रूप में है, दीर्घावधि और स्थिरता का प्रतीक। सांप का आकार इतना बड़ा हो गया है कि यह अब चलने में मुश्किलों का सामना कर रहा है, परंतु यह दूध पीने का कार्य करता है और यह भविष्यवाणी का स्रोत बन चुका है।

आश्चर्यजनक दरार:

लुगू पहाड़ के सबसे ऊपरी बिंदु पर एक आश्चर्यजनक दरार दिखाई देती है, जिससे ऐसा लगता है कि पहाड़ दो टूकों में बाँटने के कगार पर है। यह मोहक भूवैज्ञानिक घटना आश्चर्य में डालती है, दर्शकों को हैरानी में डालती है। इस आश्चर्यजनक दरार को देखना आपके धारणाओं को चुनौती देने के समान है, प्राकृतिक अद्भुतों में विश्वास को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ।

Lugu Pahar Jharkhand: कितने दिनों का ट्रिप करे

अगर आप लुगू पहाड़ जाने का प्लान कर रहे है तो कम से कम 2 दिन का ट्रिप आप रख सकते है, लुगू पहाड़ के ऊपर आपको झरना, वाटर फ़ॉल्स, हरियाली, एडवेंचर, मंदिर, गुफा और ट्रैकिंग का अननद ले सकते है, पहाड़ के ऊपर आपको कोई होटेल्स की सुविधा नहीं मिलेगी लैकिन आप टेंट लगा के आसानी से रह सकते है, लुगू पहाड़ मे सबसे ज्यादा लोग मकरसंकरती के दिन जाते है और लोग लुगू पहाड़ के ऊपर मकरसंकरती मानते है, आप अपने फॅमिली और दोस्तों के साथ जा सकते है, Lugu Pahar पर चड़ने के लिए आपको कोई सीढ़ी नहीं मिलेगी कच्चा रास्ता आपको मिलेगा तो आप बच्चे को लेके नहीं जा सकते है इस पहाड़ मे रात को जानवर भी घूमते है इसलिए बच्चे को ले जाना सही नहीं रहेगा ।

Lugu Pahar Jharkhand: केसे जाए ट्रेन, बस, फ्लाइट

ट्रेन: अगर आप लुगू पहाड़ जाने का प्लान कर रहे और आप ट्रेन से जाना चाहते है तो लुगू पहाड़ के सबसे नजदीक रेल्वे स्टेशन आपको गुमिया रेल्वे स्टेशन पड़ेगा, उसके बाद रांची और धनबाद रेल्वे स्टेशन तक पहुचने के बाद आपको आसानी से बस मिल जाएगी।

बस: अगर आप लुगू पहाड़ बस से जाना चाहते है तो आपको बस पकड़ के गुमिया या फिर रामगढ़ तक आना होगा उसके बाद आपको कोई छोटी गाड़ी पकड़नी पड़ेगी ललपानीय तक के लिए उसके बाद वहाँ से पैदल लगभग 1 किलोमीटर तक जाना पड़ेगा ।

हवाई जहाज: अगर आप हवाई जहाज से लुगू पहाड़ जाना चाहते है तो आपको रांची बिरसा मुंडा एयरपोर्ट तक आना पड़ेगा उसके बाद आपको बस से ललपनिया तक जाना पड़ेगा, दूसरा आप धनबाद एयरपोर्ट तक आने के बाद वहाँ से आपको गुमिया के लिए बस लेनी पड़ेगी उसके बाद गुमिया से ललपनिया।

निसकर्ष:

लुगू पहाड़, झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा पहाड़, सिर्फ एक भूगोलिक यूनिट ही नहीं है; यह कथाओं, रहस्यों और आध्यात्मिक महत्व की खजानी है। सुरंग से लेकर सर्प रक्षक तक, यह उन लोगों के लिए एक अद्वितीय अनुभव की तलाश है जो असाधारण से मिलना चाहते हैं। लुगू पहाड़ की यात्रा अज्ञात की ओर एक यात्रा है, जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और पौराणिकता मिलते हैं, यात्री दोनों आश्चर्यचकित और समृद्ध होते हैं।

Sona Pahari Mandir: सोना पहरी मंदिर बगोदर, खुलने और बंद होने का समय, टिकट

Monday, July 5, 2021

Poco m3 Pro 5g: इससे सस्ता और बेहतरीन 5 जी फोन और कोई नहीं

Poco m3 Pro 5g: भारत मे 5 जी फोन की मार्केटिंग पिछले साल 2020 से ही सुरवात हो गई है, भारत मे अभी 5 जी नेटवर्क का परिचलन नहीं हुआ है लैकिन 5 जी फोन का मार्केट बहुत तेजी से बढ़ रहा है, लैकिन मोबाईल के दाम को लेके बहुत ज्यादा होड चल रही है,

Poco m3 Pro 5g

भारत मे लो बजट के मोबाईल फोन का मार्केट सबसे ज्यादा चलता है, इसलिए कॉम्पनिया सबसे कम दाम मे सभी अच्छे फीचर्स देने की कोशिश करती है ताकि भारत जैसे बड़े मार्केट मे अपना जगह बना सके,

आज हम एक ऐसे 5 जी फोन के बारे मे बात करेंगे जो भारत मे अभी तक की सबसे सस्ती 5 जी फोन है, इस पोस्ट के तहत आज Poco m3 Pro 5g की आपको सारी जानकारी देने की कोशिश करूंगा, जैसे बैटरी बैकअप, स्क्रीन साइज़, दाम और एंड्रॉयड आदि ।

poco m3 specifications: इस फोन के फीचर्स जान के आप हेरान हो जाएंगे

Poco m3 Pro 5g फोन भारत की अभी तक की सबसे सस्ती फोन है मात्र 13999 रु मे आप इस 5जी फोन को आप खरीद सकते है, इससे सस्ता अभी तक इस फोन के अलावा कोई और भारत के मार्केट मे अभी तक नहीं आई है, इस फोन की खास बात ये है की अभी तक की सबसे कम बजट की 5जी मोबाईल है, इस दाम पर आपको 4जी मोबाईल भी इस स्पेसिफिकैशन के साथ नहीं मिलेंगे ।

नामपोंको यम3 प्रो 5 जी
रिलीज डेट08 जून 20201
प्रोसेसरमेडियाटेक डिमेनसीटी 700 प्रोसेसर
बैटरी5000
कैमरा48मेगापिक्सेल+2 मेगापिक्सेल+2 मेगापिक्सेल| 8 मेगापिक्सेल
डिस्प्ले6.5 इंच
मेमोरी4/64जीबी और 6/128जीबी
वॉरन्टीएक साल हैन्ड्सेट और 6 महिना बैटरी,चार्जर
दाम4जीबी-13999/6 जीबी-15999
रंगब्लू,ब्लैक,येलो

इस मोबाईल फोन की खास बात ये है इतने कम दामों मे आपको मेडियाटेक डिमेनसीटी 700 प्रोसेसर मिल रहा है, और साथ मे 5000 यमछ की पावरफूल बैटरी भी, वही अगर कैमरा की बात करे तो सैम फीचर्स आपको लगभग 20000 के मोबाईल फोन मे देखने को मिलेगा, जब सुरवात मे 5 जी फोन भारत मे लॉन्च हुआ था तो सुरवाती कीमत 20 हजार से ऊपर थी यहाँ तक अभी भी अगर दूसरी कंपनी की बात करे तो इस फोन को छोड़कर कोई भी 5 जी फोन 15000 हजार से कम कीमत की नहीं है।

निष्कर्ष

अगर अभी भारत मे 5जी मोबाईल फोन की बात करे तो Poco m3 Pro 5g से अच्छी और सस्ती फोन कोई भी मार्केट मे नहीं है, भारत मे ज्यादातर लोग माध्यम वर्ग के लोग रहते है और कोई भी मोबाईल फोन के लिए 15000 से ज्यादा पैसे खर्च नहीं करना चाहता है, बजट को देखते हुई बात करे तो ये फोन सबसे बेहतरीन फोन है,

5 जी नेटवर्क की भारत मे टेस्टिंग की सुरवात हो चुकी है इस साल के अंत तक शायद 5 जी की सुरवात भी हो जाएगी वैसे मे अगर अभी आप 4 जी फोन लेने का सोच रहे है तो शायद आगे चल कर आपको बहुत बड़ा नुकशान का सामना करना पड़ सकता है, क्यों की कोई भी अच्छी 4 जी मोबाईल 10000 की कीमत से ज्यादा मे मिलती है अगर 4 जी और 5 जी फोन का अंतर देखे तो ज्यादा फरक नहीं है वैसे मे शायद 5 जी मोबाईल आपके लिए ज्यादा लाभदायक साबित होगा।

हजारीबाग झारखंड वाइरल विडिओ: विडिओ की सच्चाई जान के आप हेरान हो जाएंगे

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